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Tuesday, March 30, 2010

Blumea lacera ,ताम्रचूड़, कुकरौंधा


यह छोटा मुलायम रोमश एवं उग्र कर्पूरगंधि क्षुप होताहै जो कि उत्तर भारत मे सर्दियों के मोसम मे होताहै और बंसत के आखिर मे यह सूख जाता है , इस पौधे की सुंगंध चारो और फ़ैल जाती है ।

आयुर्वेदिक गुण-
गुण-- लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण

रस-- तिक्त कषाय

विपाक -- कटु

वीर्य-- ऊष्ण

कफ़पितशामक, रक्तरोधक, कृमिहर, शोथहर, व्रणरोपण,

मै अपनी आयुर्वेदशाला मे इस द्रव्य को निम्नलिखित रोगों मे उपयोग करता हूँ---
  1. रक्तज अर्श मे बहुत ही उपयोगी , एलुआ और इस द्रव्य को मिलाकर चने के आकार की गोलियाँ बना कर रक्तज अर्श मे प्रयोग
  2. जले हुए व्रणों मे कल्क का उपयोग बहुत ही अच्छा व्रणरोपण और एंटीसेप्टिक होता है
  3. बच्चॊ के कृमि ( उदर कृमियों मे ) एक चमच स्वरस को गर्म करके पिला दे
  4. नाक मे हुई फ़ुन्सियों मे इसकी जड़ को श्वेत कपड़े मे बांध कर गले मे डालने से तुरंत फ़ायदा होता है ।

1 comment:

singleherbs said...

कोई भी आयुर्वेदिक प्रेमी यदि इस द्रव्य के बारे और अधिक जानकारिया जानता है को कृपया करके जन कल्याण के लिये जरुर बताएँ । ये जानकारी आपको कैसी लगी कृपया जरुर बताएं ।
धन्यवाद